Home / Class wise MCQs / 9th Class / Hindi Kshitij / उपभोक्तावाद की संस्कृति / Question

Q) एक दिनभर आपके शरीर को तरोताजा रखता रेखांकित पद का भेद बताइए?

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More questions from 9th Class Hindi Kshitij

Q. कैदी और कोकिला में कवि की भाषा कैसी है।

Q. ‘वाख’ किसे कहते हैं?

Q. चंद्रकांत देवताले ने पी.एच.डी. किस विश्वविद्यालय से की है?

Q. गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने को दिया क्योंकि

Q. कवि को माँ के दक्षिण दिशा की ओर पैर न करके सोने से मना करने का सबसे बड़ा लाभ क्या हुआ?

Q. सामंती संस्कृति के तत्त्व मारत में पहले भी रहे हैं। उपभोक्तावाद इस संस्कृति से जुड़ा रहा है। आज सामंत बदल गये हैं, सामंती संस्कृति का मुहावरा बदल गया है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आन्याओं का सरण हआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नयी संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। हम आधुनिकता के शूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं। प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है, उत्ते खोकर छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों के क्षीण हो जाने के कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही अन्य निर्देशित होता जा रहा है। विज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र हमारी मानसिकता बदल रहे हैं। उनमें सम्मोहन की शक्ति है, वशीकरण की भी। सामंती संस्कृति एवं उपभोक्ताओं में क्या संबंध है?

Q. ‘दर्शन’ को मैं जो यहाँ विशेषरूप से दर्शनीय बनाकर लिख रहा हूँ. उसका कारण यह है कि गुरुदेव के पास जब कभी मैं जाता था तो प्रायः वे यह कहकर मुस्करा देते थे कि ‘दर्शनार्थी हैं क्या?’ शुरू-शुरू में मैं उनसे ऐसी बंगला में बात करता था, जो वस्तुतः हिन्दी-मुहावरों का अनुवाद हुआ करती थी। किसी बाहर के अतिथि को जब मैं उनके पास ले जाता था तो कहा करता था, ‘एक भद्र लोक आपनार दर्शनेर जन्य ऐसे छेना’ यह बात हिन्दी में जितनी प्रचलित है, उतनी बंगला में नहीं। इसलिए गुरुदेव जरा मुस्करा देते थे। बाद में मुझे मालूम हुआ कि मेरी यह भाषा बहुत अधिक पुस्तकीय है और गुरुदेव ने उस ‘दर्शन’ शब्द को पकड़ लिया था। ‘भन्नलोक’ का क्या अर्थ है।

Q. ‘ईषत्’ का क्या अर्थ है?

Q. मुझे लगता है. तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परम-पर-परम सदियों से जम गयी है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाह लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया। तुम उसे बचाकर, उनके बगल से भी तो निकल सकते थे। टीलों से समझौता भी तो हो जाता है। सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं, कोई रास्ता बदलकर, घूमकर भी तो चली जाती हैं। यहाँ नदी की क्या विशेषता बताई गई है?

Q. कवि ने अंग्रेजी शासन की तुलना किस रंग से की