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Q) उतना ही खाओ जितनी भूख है। रेखांकित किया विशेषण का भेद लिखिए।

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Q. महादेवी वर्मा के साथ हॉस्टल में रहने वाली मुस्लिम लड़की का क्या नाम था?

Q. गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुंच गए हैं। पर आदमी उसे बेबकूफ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा. गया कैसा प्राणी है।

Q. अंतिम पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?

Q. कवि सारस के साथ हरे खेतों में क्यों जाना चाहता है?

Q. लारेंस की पत्नी का क्या नाम था?

Q. मोको कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में। ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काये कैलास में। ना तो कौने किया-कर्म में, नहीं योग वैराग में। खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तालास में। की कबीर सुनो भाई सायो, सब स्वासों की स्वोस में।। कबीर ने किन-किन धारणाओं का खंडन किया

Q. कवि ने अपनी माँ से क्या प्रश्न किया?

Q. कौन-सा पर्याय दामिनी का नहीं है?

Q. डॉडे तिब्बत में सबसे खतरे की जगहें हैं। सोलह-सत्रह हजार फीट की ऊँचाई होने के कारण उनके दोनों तरफ मीलों तक कोई गाँव-गिराँव नहीं होते। नदियों के मोड़ और पहाड़ों के कोनों के कारण बहुत दूर तक आदमी को देखा नहीं जा सकता। डाकुओं के लिए यही सबसे अच्छी जगह है। तिब्बत में गाँव में ङ्केआर माही जापा, या खुनी को तजा भी मिल सकती है, लेकिन इन निर्जन स्थानों में मरे हुए आदमियों के लिए कोई परवाह नहीं करता। सरकार खुफिया-विभाग और पुलिस पर उतना खर्च नहीं करती और वहाँ गवाह भी तो कोई नहीं मिल सकता। डकैत पहले आदमी को मार डालते हैं, उसके बाद देखते हैं कि कुछ पैसा है कि नहीं। 'निर्जन’ शब्द में उपसर्ग बताइए।

Q. गाँधी जी ने किनके लिए दरवाजे खिड़कियों खुली रखने की बात कही थी।