Home / Class wise MCQs / 9th Class / Hindi Kshitij / प्रेमचंद के फटे जूते / Question

Q) मुझे लगता है. तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परम-पर-परम सदियों से जम गयी है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाह लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया। तुम उसे बचाकर, उनके बगल से भी तो निकल सकते थे। टीलों से समझौता भी तो हो जाता है। सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं, कोई रास्ता बदलकर, घूमकर भी तो चली जाती हैं।

यहाँ नदी की क्या विशेषता बताई गई है?

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Q. ‘चपला देवी’ किस युग की लेखिका हैं?

Q. चने को कवि ने क्या कहा है?

Q. उन्हें किस रचना पर सोवियत लैंड पुरस्कार दिया गया?

Q. मोको कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में। ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काये कैलास में। ना तो कौने किया-कर्म में, नहीं योग वैराग में। खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तालास में। की कबीर सुनो भाई सायो, सब स्वासों की स्वोस में।। ईश्वर कहाँ रहता है?

Q. महादेवी जी को किस पुरस्कार से सम्मानित किया

Q. सालिम अली की मृत्यु किस बीमारी से हुई?

Q. ‘समखा तभी होगा समभावी’ पंक्ति में निहित जर्घ बताइए।

Q. मेघ के आने पर ‘बयार’ पर क्या असर हुआ?

Q. निम्नलिखित में से कौन सी रचना महादेवी जी की नहीं है?

Q. मोको कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में। ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काये कैलास में। ना तो कौने किया-कर्म में, नहीं योग वैराग में। खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तालास में। की कबीर सुनो भाई सायो, सब स्वासों की स्वोस में।। लोग ईश्वर को कहाँ ढूँढते हैं?