Home / Class wise MCQs / 9th Class / Hindi Kshitij / एक कुत्ता और एक मैना / Question

Q) ‘दर्शन’ को मैं जो यहाँ विशेषरूप से दर्शनीय बनाकर लिख रहा हूँ. उसका कारण यह है कि गुरुदेव के पास जब कभी मैं जाता था तो प्रायः वे यह कहकर मुस्करा देते थे कि ‘दर्शनार्थी हैं क्या?’ शुरू-शुरू में मैं उनसे ऐसी बंगला में बात करता था, जो वस्तुतः हिन्दी-मुहावरों का अनुवाद हुआ करती थी। किसी बाहर के अतिथि को जब मैं उनके पास ले जाता था तो कहा करता था, ‘एक भद्र लोक आपनार दर्शनेर जन्य ऐसे छेना’ यह बात हिन्दी में जितनी प्रचलित है, उतनी बंगला में नहीं। इसलिए गुरुदेव जरा मुस्करा देते थे। बाद में मुझे मालूम हुआ कि मेरी यह भाषा बहुत अधिक पुस्तकीय है और गुरुदेव ने उस ‘दर्शन’ शब्द को पकड़ लिया था।

गुरुदेव ने किस शब्द को पकड़ लिया

View Answer Share

Discusssion

Login to discuss.

More questions from 9th Class Hindi Kshitij

Q. रसखान ब्रज में ही क्यों बसना चाहते हैं?

Q. कैदी और कोकिला में कवि की भाषा कैसी है।

Q. प्रकृति का अनुराग अंचल हिल रहा है पंक्ति में कौन से अलंकार हैं?

Q. गाँधी ने किस पर कायम रहकर सांस्कृतिक प्रभावों के लिए दरवाजे-खिड़की खुले रखने की बात कही थी?

Q. रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव। जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार ।। पानी टपके कच्चे सकारे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे। जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है परे ।। कवयित्री के मोक्ष प्राप्ति के रास्ते बंद क्यों हैं।

Q. ‘जेब टटोलने’ का प्रतीकार्थ है?

Q. गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुंच गए हैं। पर आदमी उसे बेबकूफ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा. गये के चेहरे पर कैसा भाव छाया रहता है?

Q. बच्चे कैसी सड़क से काम पर जा रहे हैं?

Q. पूल घाघरा उठाकर क्यों भागी?

Q. चंद्रकांत देवताले ने पी.एच.डी. किस विश्वविद्यालय से की है?