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Q) मोहन के व्रत पर’ यहाँ भोजन का क्या आशय

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Q. मुझे लगता है. तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परम-पर-परम सदियों से जम गयी है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाह लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया। तुम उसे बचाकर, उनके बगल से भी तो निकल सकते थे। टीलों से समझौता भी तो हो जाता है। सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं, कोई रास्ता बदलकर, घूमकर भी तो चली जाती हैं। टीलों से समझौता भी हो जाता है। यहाँ टीलों का क्या अर्थ है?

Q. रसखान अपनी आँखों से क्या देखना चाहते हैं।

Q. महादेवी जी का जन्म कब और कहाँ हुआ?

Q. मैना जड़ पदार्थ मकान को क्यों बचाना चाहती थी?

Q. गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुंच गए हैं। पर आदमी उसे बेबकूफ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा. गये के चेहरे पर कैसा भाव छाया रहता है?

Q. ‘नाना साहब की पुत्री मैना देवी को भस्म कर दिया गया’ पाठ किसने लिखा है?

Q. गुरुदेव ने शांति निकेतन छोड़ कहीं और रहने का मन क्यों बनाया।

Q. इस पाठ में भारत के किस प्रधानमंत्री का उल्लेख हुआ है

Q. कबीर ने इस पद में किस बात पर जोर दिया

Q. लेखक एवं उसका मित्र किस देष में यात्रा कर रहे