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Q) कैदी और कोकिला कविता में अपनी बात कहने के लिए कवि ने किसको माध्यम बनाया है?

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Q. माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म कब और कहाँ

Q. सखी के कहने पर गोपी क्या-क्या स्वाँग भरती

Q. लेखक एवं उसका मित्र किस देष में यात्रा कर रहे

Q. कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेजों का सैनिक दल बिठूर की ओर गया। बिठूर में नाना साहब का राजमहल लूट लिया गया; पर उसमें बहुत थोड़ी संपत्ति अंग्रेजों के हाथ लगी। इसके बाद अंग्रेजों ने तोप के गोलों से नाना साहब का महल भस्म कर देने का निश्चय किया। सैनिक दल ने जब वहाँ तो लगायों, उस समय महल के बरामदे में एक अत्यन्त सुंदर बालिका आकर खड़ी हो गयी। उसे देख कर अंग्रेज सेनापति को बड़ा आश्चर्य हुआ; क्योंकि महल लूटने के समय वह बालिका वहाँ कहीं दिखाई न दी थी। ‘सेनापति’ पद में समास बताइए

Q. गाँधी जी ने किनके लिए दरवाजे खिड़कियों खुली रखने की बात कही थी।

Q. चंद्रकांत देवताले का जन्म कहाँ हुआ?

Q. कबीर दास का जन्म कब और कहाँ हुआ?

Q. सामंती संस्कृति के तत्त्व मारत में पहले भी रहे हैं। उपभोक्तावाद इस संस्कृति से जुड़ा रहा है। आज सामंत बदल गये हैं, सामंती संस्कृति का मुहावरा बदल गया है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आन्याओं का सरण हआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नयी संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। हम आधुनिकता के शूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं। प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है, उत्ते खोकर छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों के क्षीण हो जाने के कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही अन्य निर्देशित होता जा रहा है। विज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र हमारी मानसिकता बदल रहे हैं। उनमें सम्मोहन की शक्ति है, वशीकरण की भी। हमारी मानसिकता का कौन-सा तंत्र बदल रहा है?

Q. ‘प्रेमचंद के फटे जूते गय की किस विधा की रचना hai

Q. मुझे लगता है. तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परम-पर-परम सदियों से जम गयी है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाह लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया। तुम उसे बचाकर, उनके बगल से भी तो निकल सकते थे। टीलों से समझौता भी तो हो जाता है। सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं, कोई रास्ता बदलकर, घूमकर भी तो चली जाती हैं। इस गद्यांश को जिस पाठ से लिया गया है, उसके लेखक का नाम बताइए।