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यमक अलंकार की परिभाषा

Filed under: Hindi on 2022-03-03 11:57:07
जिस काव्य में समान शब्द के अलग – अलग अर्थो में आवृत्ति हो, वहाँ यमक अलंकार होता है | यानी जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग – अलग अर्थ दे |

जैसे –  कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय |
या खाये बौरात नर या पाए बौराय | |

इस पद्य में ‘कनक’ शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है | प्रथम कनक का अर्थ ‘सोना’ और दूसरा कनक का अर्थ – धतूरा है | अतः ‘कनक’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थक के कारण उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार की छटा दिखती है |

यमक अलंकार के उदाहरण : 

# माला फेरत जुग गया, फिरा न मन का फेर |
# कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर ||
# किसी सोच में हो विभोर सांसे कुछ ठंडी खींची |
# फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आँखे मींची ||
# केकी रव की नूपुर-ध्वनि सुन, जगती जगती की मूक प्यास |
# बरजीते सर मैन के, ऐसे देखे मैं न |
# हरिनी के नैनान ते हरिनि के ये नैन |
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Mr. Dubey     View Profile
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